Re: " कबीर के दोहे "
ये जिंदगी किसीकी । आखेर मट्टी भयेगी तनकी ॥
झूटी काया झूटी माया झूटा राजा रानी ।
कोन किसीका देखो यारो झूटा मिरगजल पानी ॥
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