कुछ बातें धर्मेंद्र के बारे में
रोल चाहे फिल्म सत्यकाम के सीधे सादे ईमानदार हीरो का हो, फिल्म शोले के एक्शन हीरो का हो या फिल्म चुपके चुपके के कॉमेडियन हीरो का, सभी को सफलता पूर्वक निभा कर दिखा देने वाले धर्मेंद्र सिंह देओल अभिनय प्रतिभा के धनी कलाकार हैं| सन् 1960 में फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से अभिनय की शुरुवात करने के बाद पूरे तीन दशकों तक धर्मेंद्र चलचित्र जगत में छाये रहे| केवल मेट्रिक तक ही शिक्षा प्राप्त की थी उन्होंने| स्कूल के समय से ही फिल्मों का इतना चाव था कि दिल्लगी (1949) फिल्म को 40 से भी अधिक बार देखा था उन्होंने| अक्सर क्लास में पहुँचने के बजाय सिनेमा हॉल में पहुँच जाया करते थे| फिल्मों में प्रवेश के पहले रेलवे में क्लर्क थे, लगभग सवा सौ रुपये तनख्वाह थी| 19 साल की उम्र में ही शादी भी हो चुकी थी उनकी प्रकाश कौर के साथ और अभिलाषा थी बड़ा अफसर बनने की|
फिल्मफेयर के एक प्रतियोगिता के दौरान अर्जुन हिंगोरानी को पसंद आ गये धर्मेंद्र और हिंगोरानी जी ने अपनी फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे के लिये उन्हें हीरो की भूमिका के लिये अनुबंधित कर लिया 51 रुपये साइनिंग एमाउंट देकर| पहली फिल्म में नायिका कुमकुम थीं| कुछ विशेष पहचान नहीं बन पाई थी पहली फिल्म से इसलिये अगले कुछ साल संघर्ष के बीते| संघर्ष के दिनों में जुहू में एक छोटे से कमरे में रहते थे| लोगों ने जाना उन्हें फिल्म अनपढ़ (1962), बंदिनी (1963) तथा सूरत और सीरत (1963) से पर स्टार बने ओ.पी. रल्हन की फिल्म फूल और पत्थर (1966) से| 200 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है धर्मेंद्र ने, कुछ अविस्मरणीय फिल्में हैं अनुपमा, मँझली दीदी, सत्यकाम, शोले, चुपके चुपके आदि|
अपने स्टंट दृश्य बिना डुप्लीकेट की सहायता के स्वयं ही करते थे| चिनप्पा देवर की फिल्म मां में एक चीते के साथ सही में फाइट किया था धर्मेंद्र ने|