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Old 25-12-2011, 12:24 PM   #29
prashant
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Smile Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ

वंदे मातरम



वंदे मातरम,
वंदे मातरम
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्

सस्य श्यामलां मातरंम् .

शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्

फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,

सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .

सुखदां वरदां मातरम् ॥



सप्त कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले

द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले

के बोले मा तुमी अबले

बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्

रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥



तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म

त्वं हि प्राणाः शरीरे

बाहुते तुमि मा शक्ति,

हृदये तुमि मा भक्ति,

तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥



त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी

कमला कमलदल विहारिणी

वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्

नमामि कमलां अमलां अतुलाम्

सुजलां सुफलां मातरम् ॥



श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्

धरणीं भरणीं मातरम् ॥

वंदे मातरम,

वंदे मातरम

- बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
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Love is like a drop of dew.Which is clean and clear.

Last edited by prashant; 25-12-2011 at 12:27 PM.
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