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Perumal Murugan
पेरुमाल मुरुगन
पेरुमाल मुरुगन तमिल में लिखने वाले एक सम्मानित लेखक, विद्वान और साहित्यिक इतिहासकार हैं। इनके अब तक चार उपन्यास, तीन कहानी संग्रह और तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। वह नामकल में सरकारी आर्टस कॉलेज में तमिल के प्रोफेसर हैं। इनके द्वारा सन 2010 में प्रकाशित तमिल उपन्यास 'मधोरुबगन' दरअसल, एक गरीब निःसंतान दंपति की कहानी है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक स्त्री संतान के लिए तड़प रही है और प्राचीन हिंदू रथयात्रा उत्सव में पहुंचती है, जहाँ एक रात के लिए किसी भी स्त्री और पुरुष के बीच आपसी सहमति से यौन संबंध बनाने की इजाज़त है.
मुरुगन अपनी इस किताब के माध्यम से जाति और समाज की उस हठधर्मिता के बारे में ज़ोरदार टिप्पणी करते हैं जिसकी वजह से पति-पत्नी के संबंधों में विवाद उठ खड़ा होता है और उनकी शादी संकट में आ जाती है. लेखक यह मान कर चलते हैं कि इस तरह की परंपराओं का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है, लेकिन ये कहानियां मौखिक रूप से ही कही जाती रही हैं. अपनी किताब में मुरुगन कहते हैं कि उन्हें अपने अध्ययन के दौरान ऐसे लोग मिले, जिन्हें लोग 'भगवान का दिया हुआ बच्चा' पुकारते हैं.इस बारे में वे लिखते हैं कि मैंने अनुमान लगाया था कि उन्हें ऐसा इसलिए पुकारा जाता है क्योंकि वे ईश्वर की पूजा के बाद जन्मे थे.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 26-01-2015 at 02:08 PM.
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