Re: ज़िन्दगी ... .
ज़िन्दगी
ये ज़िन्दगी रेत की तरह होती है
जब तक इसे खुले हाथों में रक्खो तब तक ये तुम्हारी है
पर अगर इसे मुट्ठी में बंद करना चाहो
तो ये उँगलियों के बीच से फिसल जाती है
यही ज़िन्दगी है:
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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