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Old 15-10-2013, 06:58 PM   #3
rajnish manga
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Default Re: माँ: एक कालजयी रचना के एक सौ सात साल

‘‘क्या हुआ?’’
‘‘
वह वहां-जासूस...’’
‘‘
क्या बात है?’’
‘‘
कहते हैं कि यह चोर है...’’
‘‘
मैं चोर नहीं हूं!’’ माँ ने चिल्लाकर कहा; लोगों की भीड़ अपने चारों तरफ़ एकत्रित देखकर उसकी भावनाओं का प्रबल वेग थम गया था.
‘‘कल राजनीतिक कैदियों पर एक मुक़दमा चलाया गया था और उनमें मेरा बेटा पावेल व्लासोव भी था. उसने अदालत में एक भाषण दिया था-यह वही भाषण है! मैं इसे लोगों के पास ले जा रही हूँ ताकि वे इसे पढ़कर सच्चाई का पता लगा सकें...’’
किसी ने बड़ी सावधानी से उसके हाथ से एक पर्चा ले लिया. माँ ने गड्डी हवा में उछालकर भीड़ की तरफ़ फेंक दी.



‘‘तुम्हें इसका मज़ा चखा दिया जाएगा!’’ किसी ने भयभीत स्वर में कहा. माँ ने देखा कि लोग झपटकर पर्चे लेते हैं और अपने कोट में तथा जेबों में छुपा लेते हैं. यह देखकर उसमें नई शक्ति आ गई. वह अधिक शांत भाव से और ज़्यादा जोश के साथ बोलने लगी; उसके हृदय में गर्व और उल्लास का जो सागर ठाठें मार रहा था उसका उसे आभास था. बोलते-बोलते वह सूटकेस में से पर्चे निकालकर दाहिने-बाएं उछालती जा रही थी और लोग बड़ी उत्सुकता से हाथ बढ़ाकर इन पर्चों को पकड़ लेते थे.
‘‘जानते हो मेरे बेटे और उसके साथियों पर मुक़दमा क्यों चलाया गया? मैं तुम्हें बताती हूं, तुम एक माँ के हृदय और उसके सफ़ेद बालों का यक़ीन करो- उन लोगों पर मुक़दमा सिर्फ़ इसलिए चलाया गया कि वे लोगों को सच बातें बताते थे! और कल मुझे मालूम हुआ कि इस सच्चाई से...कोई भी इनकार नहीं कर सकता-कोई भी नही!
भीड़ बढ़ती गई, सब लोग चुप थे और इस औरत के चारों तरफ़ सप्राण शरीरों का घेरा खड़ा था.
‘‘ग़रीबी, भूख और बीमारी - लोगों को अपनी मेहनत के बदले यही मिलता है! हर चीज़ हमारे ख़िलाफ़ है-ज़िंदगी-भर हम रोज़ अपनी रत्ती-रत्ती शक्ति अपने काम में खपा देते हैं, हमेशा गंदे रहते हैं, हमेशा बेवकूफ़ बनाए जाते हैं और दूसरे हमारी मेहनत का सारा फ़ायदा उठाते हैं और ऐश करते हैं, वे हमें जंजीर में बंधे हुए कुत्तों की तरह जाहिल रखते हैं-हम कुछ भी नहीं जानते, वे हमें डराकर रखते हैं-हम हर चीज़ से डरते हैं!हमारी ज़िंदगी एक लंबी अंधेरी रात की तरह है!’’
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