Re: कुतुबनुमा
एटमी परीक्षण पर भारत की चिंता
उत्तर कोरिया द्वारा एटमी परीक्षण किए जाने पर भारत ने जो चिंता व्यक्त की है वह मौजूदा समय को देखते हुए जायज कही जा सकती है। भारत ने कहा कि उत्तर कोरिया को अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का उल्लंघन करने वाले ऐसे कदम से परहेज करना चाहिए था जिससे क्षेत्र में शांति और अस्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। खास बात तो यह है कि उत्तर कोरिया का खास मित्र देश चीन और वैश्विक शक्तियां भी इस कदम से हैरान है क्योंकि उसने इस सम्बंध में अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करते हुए यह कदम उठाया है। परीक्षण से तीन घंटे पहले भूगर्भ विशेषज्ञों ने चीन की सीमा के समीप एक तेज असामान्य झटके का पता भी लगा लिया था। इस भूमिगत परीक्षण की संयुक्त राष्ट्र ने भी कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘भर्त्सनीय’ बताया और कहा कि यह सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन है। दरअसल उत्तर कोरिया ने जो एटमी परीक्षण किया है उससे इस आशंंका की पुष्टि होती है कि वह बैलिस्टिक मिसाइल में परमाणु आयुध लगाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गया है। यह उत्तर कोरिया का यह तीसरा एटमी परीक्षण है। इससे पहले वह वर्ष 2006 और वर्ष 2009 में परमाणु परीक्षण कर चुका है। इन परीक्षणों के बाद उस पर संयुक्त राष्ट्र ने कई प्रतिबंध भी लगाए थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कई बार चेतावनी भी दी लेकिन उत्तर कोरिया उच्च स्तरीय परमाणु परीक्षण करने की धमकी देता रहा है, जिससे यह साबित हो रहा है कि वह पूरी तरह मानमानी पर उतर आया है। इसको ध्यान में रखकर कर ही भारत ने जो चिंताएं जताई हैं वह सामयिक है, क्योंकि इससे तनाव और बढ़ेगा तथा क्षेत्रीय पड़ोसियों, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के लिए भी इसको लेकर समस्या पैदा होने की संभावना बढ़ जाएगी जो आने वाले समय के लिए काफी चिंताजनक हो सकती है। भारत समेत सभी देशों को मिलकर इस सम्बंध में विचार कर ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे तनाव के हालात पैदा न हों।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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