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Old 01-01-2011, 11:19 AM   #1
amol
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amol is a jewel in the roughamol is a jewel in the roughamol is a jewel in the rough
Default राष्ट्रीय गौरव से समझौता????

एक बार फिर अधिकांश भारतवासी, हमारी सरकार, टीवी नव वर्ष का स्वागत करने की तैयारी कर रहे हैं। बड़े-बड़े होटलों में हजारों रुपये प्रति व्यक्ति खर्च करके देश का कुलीन वर्ग सीटें रिजर्व करा रहा है। करोड़ों ग्रीटिंग कार्ड भेजे जा रहे हैं। तथाकथित सभ्य समाज जाम से जाम टकरा-खनका कर मदहोशी की हालत में नव वर्ष की शुभकामनाएं देगा। आम आदमी भी पीछे नहीं रहेगा। आधी रात तक टीवी के सामने बैठ कर मध्य रात्रि के अंधेरे में ही नया दिन मनाएगा और कुछ मनचले सड़कों पर पटाखे छोड़कर, नशे में धुत होकर घर के दरवाजे खटखटाएंगे। आजादी के बाद हमने परतंत्रता के बहुत से प्रतीक चिह्न मिटाए, विदेशियों के बुत हटाए, बहुत-सी सड़कों के नामों का भारतीयकरण किया पर संवत और राष्ट्रीय कैलेंडर के विषय में हम सुविधावादी हो गए। इसके लिए यह तर्क दिया जा सकता है कि अब जब संसार के अधिकतर देशों ने समान कालगणना के लिए ईसवी सन स्वीकार कर लिया है तो दुनिया के साथ चलने के लिए हमें भी इसी का प्रयोग करना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि हमने सुविधा को आधार बनाकर राष्ट्रीय गौरव से समझौता कर लिया है और यह भी भुला दिया कि काम चलाने और जश्न मनाने में बहुत अंतर है।
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