Re: अनोखे गीत - २
अब एसा तो कभी कभी ही होता है। कितने लेखकों ने, कवियों ने भक्ति गीत लिखें है! शायद ही कभी एसा हुआ हो की उन्हें स्कुलों मे प्रार्थना मान कर गाया जाए!
सर्वधर्म के प्रति समभाव रख कर गुलज़ार जी ने यह गीत ईतने उंचे दरज्जे का रचा ही की क्या कहें! यह गीत तो सभी बच्चे-बच्चे को भी पता होगा, याद होगा.... ईतना सरल है। फिर भी ईसका संदेश कितना बड़ा है!
हम को मन की शक्ति देना, मन विजय करें
यहां तो शायद यह सुत्र का समापन हो जाना चाहिए था! लेकिन गुलज़ार जी के गीत अनगीनत है...आशा है मै ओर गीत आपके समक्ष ला पाउंगा!
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