Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
प्रेम ईश्वर का प्रसाद है जिसे जिया जा सकता है जाना नहीं जा सकता। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हो रहा है। सोना-गाना, हंसना-रोना सब रीना के साथ होता। उसे पाने के जनून में पढ़ाई करता हुआ पाया कि प्रेम जीवन को संबार सकता है। रात में पढ़ाई छत पर होती थी। गर्मी का मौसम हो तो छत पर लालटेन जला कर बैठ जाता पर चेहरा रीना की छत की तरफ रखता, पढ़ते हुए मन में यही एहसास होता कि रीना देख रही है और सुबह जब आंख खुलती की उसी की छत को देखता जहां एक पपीहा की तरह रीना टकटकी लगाये बैठी मिलती। यह सिलसिला महीनों से चलता आ रहा था पर आज जैसे ही आंख खुली तो रीना ने इशारा किया और जब मैं मुड़ कर देखा तो रधिया छत पर अहले सुबह जग कर मेरी तरफ देख रही है। मेरे छत पर मुंडेर नहीं थी इसलिए सोये हुआ मैं दिख जाता। रधिया को बेचैन आंखों से देखता हुआ पाकर मैं विचलित हो गया। मैं नीचे आ गया। अब मैं और रीना थोड़े अधिक सावधान हो गए थे शायद इसलिए कि जवान हो गए थे। सुबह चार बजे का समय प्रेम पत्रों कें आदान प्रदान का सबसे मुफीद समय बन गया। रीना भी छत से नीचे आती, मैं भी, और रास्ते में चलते हुए पत्रों का आदान-प्रदान हो जाता।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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