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Originally Posted by sagar -
सच पूछे तो मुझे काफी दुःख हुआ ये विवाद देख कर मन करता हे की फोरम पर आना ही बंद कर दू क्या हम यहा पर लड़ने आते हे ! क्यू लड़ते हे हम वो भी पद पाने के लिए
मेरी नजरो में जितेन्द्र भाई का दर्जा और उचा हो जाता अगर वो इस पद पाने की दोड का परित्याग करते !
वो भी इतने एक अच्छे दोस्त होते हुए क्या यही दोस्ती होती हे दोस्ती का नाम होता एक दूसरे पर जान दे देना ना की एक पद पाने के लिए लडना !
ये केसी दोस्त ये केसा प्यार
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अभी तो फोरम पर पैसा नहीँ हैँ तो यह हाल हैँ अगर विज्ञापन से धडाडर अगर रुपया आने लगे तो हाथोँ मेँ टीपु सुल्तान की तलवार आजाऐँगे एक दुसरे के खिलाफ आप फोरम पर आना क्योँ बंद करेँगे सागर भाई और नायक भाई पहले अगर दोनो मेँ दोस्ती थी या हैँ तो जितेन्द्र जी ने कितने सदस्य से कहा हैँ की हमारी दोस्ती जय वीरु जैसी हैँ अब दोस्ती दुश्मनी होने जा रहा हैँ तो सब बाते बाहर आरही हैँ आपलोग बिंदास रहे