Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
एक और इंटरव्यू
यह इंटरव्यू श्री रघुवेन्द्र सिंह के ब्लॉग से लिया गया है (+ चवन्नी छाप)
अमिताभ बच्चनने दिल में अपने बाबूजीहरिवंशराय बच्चनकी स्मृतियां संजोकर रखी हैं. बाबूजी के साथ रिश्ते की मधुरता और गहराई को अमिताभ बच्चन से विशेष भेंट मेंरघुवेन्द्र सिंहने समझने का प्रयास किया.
लगता है कि अमिताभ बच्चन के समक्ष उम्र ने हार मान ली है. हर वर्ष जीवन काएक नया बसंत आता है और अडिग, मज़बूत और हिम्मत के साथ डंटकर खड़े अमिताभ को बस छूकर गुज़र जाता है. वे सत्तर वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन उन्हेंबुज़ुर्ग कहते हुए हम सबको झिझक होती है. प्रतीत होता है कि यह शब्द उनकेलिए ईज़ाद ही नहीं हुआ है.
उनका कद, गरिमा, प्रतिष्ठा, लोकप्रियता समय के साथ एक नई ऊंचाई छूती जारही है. वह साहस और आत्मविश्वास के साथ अथक चलते, और बस चलते ही जा रहेहैं. वह अंजाने में एक ऐसी रेखा खींचते जा रहे हैं, जिससे लंबी रेखा खींचना आने वाली कई पीढिय़ों के लिए चुनौती होगी. वह नौजवान पीढ़ी के साथ कदम सेकदम मिलाकर चलते हैं और अपनी सक्रियता एवं ऊर्जा से मॉडर्न जेनरेशन कोहैरान करते हैं.
अपने बाबूजी हरिवंशराय बच्चन के लेखन को वह सबसे बड़ी धरोहर मानते हैं. आजभी विशेष अवसरों पर उन्हें बाबूजी की याद आती है. पिछले महीने 11 अक्टूबर 2012 को अमिताभ बच्चन का जन्मदिन बहुत धूमधाम से अनोखे अंदाज़ में सेलीब्रेटकिया गया. इस माह की 27 तारीख को उनके बाबूजी का जन्मदिन है. प्रस्तुत है अमिताभ बच्चन से उनके जन्मदिन एवं उनके बाबूजी के बारे में विस्तृतबातचीत.
प्र. पिछले दिनों आपके सत्तरवें जन्मदिन को लेकर आपके शुभचिंतकों, प्रशंसकों और मीडिया में बहुत उत्साह रहा. आपकी मन:स्थिति क्या है?
उ. मन:स्थिति यह है कि एक और साल बीत गया है और मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों इतना उत्साह है सबके मन में? प्रत्येक प्राणी के जीवन का एक साल बीत जाता है, मेरा भी एक और साल निकल गया.
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