Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘सुनलही ने हो, मल्हूआ के बाबूजी अपन पुतौहुये से फंसल हखीन, सब दलान पर बड़का आदमी इहे चर्चा अभी कर रहलै हें’’
‘‘धत्त साल, इहे सब खबर रखें हें, इहो ने पगला गेलई हे, लंद फंद खिस्सा करते रहतै’’
मैने टोकते हुए कहा पर सामदेवा का समर्थन करते हुए कमलेश ने भी हांमी भर दी।
‘‘ सचे बात है तउ, सब तो कह रहलै हें, तोरा काहे जबूर लगो है’’ बाद में इस बात की छान बीन हुई और अपने अपने स्तर से सभी ने इस बात का पता लगाया और अन्त में उस बरगदी बैठक खाने में इस बात पर फैसला हो गया कि यह बात सही। खास कर सामदेव ने जरूरी जानकारी दी।
‘‘ जानो ही हो कल बाप बेटा में खूब लड़ाई होलइ, मल्हुआ कह रहलै हल कि हम हरियाणा कमाई ले गेलिओ और तों हमर मौगी के फुसला लेला।, अब मल्हुआ हरियाणा पंजाब नै जइतै, इम साल यहीं खेती करतै।’’
मल्हुआ के बाबूजी मास्टर साहब, सरकारी स्कूल में मास्टर थे और इसी नाम से जाने जाते थे। मास्टर के बारे में गांव के लोग अक्सर कहा करते कि जिस मास्टर ने स्कूल में बच्चों को नहीं पढ़ाया उसका बेटा भी अनपढ़ रहता है और इस बात का प्रमाण मास्टर साहब के रूप में मौजूद था। मास्टर साहब कभी समय पर स्कूल नहीं गए और गए भी तो पढ़ाया नहीं और उनका बेटा मल्हूआ गंबार है। तीन साल पहले ही शादी हुुई थी। खूब तिलक दिया गया था। कई बरतुहार आया और अन्त में नवादा जिले के नरहट में उसकी शादी हुई। बारात में खूब स्वागत किया गया और दुल्हन के बारे में गांव भर में चर्चा चली थी कि बुरबकबा मल्हूआ के कन्याय श्रीदेवी मिललै है। शादी के एक साल बाद ही मल्हूआ कमाने के लिए हरियाणा चला गया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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