13-03-2015, 11:44 AM
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#17
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Re: कुछ ओर!
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Originally Posted by deep_
आदतन
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हुआ वही, होता जो अक्सर,
आंखो से गिरी बरसात आदतन,
उन आंसू में पिघल चले,
जो पूछे थे सवालात आदतन!
(दीप १२.३.१५)
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बहुत खूब, बहुत सुंदर. आपकी कविताओं में जज़्बात की अच्छी अभिव्यक्ति नज़र आती है. इसी प्रकार लिखते रहें और हम मित्रों के साथ शेयर करते रहें. एक दिन आप कवियों की अगली पंक्ति में होंगे. धन्यवाद, दीप जी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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