09-01-2015, 09:44 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
ईश्वर की खोज
दो व्यक्ति एक घाटी में घूम रहे थे. उनमे से एक ने पहाड़ की ओर इशारा करते हुए कहा, “वहां देख रहे हो. वहां पर एक कुटी है. यहाँ एक व्यक्ति रहता है जिसने बहुत दिनों से वैराग्य ले रखा है. वह ईश्वर की खोज में लगा हुआ है. संसार में उसकी और कोई कामना नहीं है.”
दूसरे व्यक्ति ने कहा, “जब तक यह व्यक्ति इस कुतिया का त्याग कर के हमारे संसार में वापिस नहीं आ जाता, तब तक उसे चैन नहीं मिलेगा. ईश्वर की प्राप्ति तो बाद की बात है. उसे चाहिए कि वह हम लोगों के सुख-दुःख का भागी बने, हमारे उत्सवों में हमारे साथ नाचे और गाये तथा गमीं में रोने वाले व्यक्तियों का साथ दे.”
पहला व्यक्ति इस बात को सुन कर कुछ संतुष्ट हुआ किंतु कुछ सोच कर बोला, “जो तुम कह रहे हो, मैं उससे सहमत हूँ, फिर भी मैं मानता हूँ कि यह सन्यासी एक सत्पुरुष है और उन लोगों की तुलना में जो अपने गुणों का प्रदर्शन करते रहते हैं, वह अपने को छिपा कर भी संसार का अधिक उपकार करते हैं.”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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