Re: कुछ ओर!
दीप जी, कई दिन बाद आपका पुनः आने पर स्वागत है, आपकी व्यस्तता को हम समझ सकते हैं. आशा है आप अपनी उपस्थिति जल्दी जल्दी दर्ज कराते रहेंगे.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|