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Old 22-01-2013, 08:01 PM   #42
madhuu
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madhuu is on a distinguished road
Default Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये

15 जनवरी

रात को राधिका बाबू के घर पर पत्थर फेंके गये।
जनमत बन गया है।
स्त्री-पुरुषों के मुख से यह वाक्य हमारे एजेंटों ने सुने… “बेचारे को पांच दिन हो गये। भूखा पड़ा है।”
“धन्य है इस निष्ठा को।”
“मगर उस कठकरेजी का कलेजा नहीं पिघला।”
“उसका मरद भी कैसा बेशरम है।”
“सुना है पिछले जन्म में कोई ऋषि था।”
“स्वामी रसानंद का वक्तव्य नहीं पढ़ा!”
“बड़ा पाप है ऋषि की धर्मपत्नी को घर में डाले रखना।”
आज ग्यारह सौभाग्यवतियों ने बन्नू को तिलक किया और आरती उतारी।
बन्नू बहुत खुश हुआ। सौभाग्यवतियों को देख कर उसका जी उछलने लगता है।
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