22-01-2013, 08:02 PM
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
16 जनवरी
जयप्रकाश बाबू की ‘मिशन’ फेल हो गयी। कोई मानने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी बन्नू के साथ सहानुभूति है, पर हम कुछ नहीं कर सकते। उससे उपवास तुड़वाओ, तब शांति से वार्ता द्वारा समस्या का हल ढूंढा जाएगा।”
हम निराश हुए। बाबा सनकीदास निराश नहीं हुए। उन्होंने कहा, “पहले सब मांग को नामंजूर करते हैं। यही प्रथा है। अब आंदोलन तीव्र करो। अखबारों में छपवाओ कि बन्नू की पेशाब में काफी ‘एसीटोन’ आने लगा है। उसकी हालत चिंताजनक है। वक्तव्य छपवाओ कि हर कीमत पर बन्नू के प्राण बचाए जाएं। सरकार बैठी-बैठी क्या देख रही है? उसे तुरंत कोई कदम उठाना चाहिए जिससे बन्नू के बहुमूल्य प्राण बचाए जा सकें।”
बाबा अद्भुत आदमी हैं। कितनी तरकीबें उनके दिमाग में हैं। कहते हैं, “अब आंदोलन में जातिवाद का पुट देने का मौका आ गया है। बन्नू ब्राम्हण है और राधिकाप्रसाद कायस्थ। ब्राम्हणों को भड़काओ और इधर कायस्थों को। ब्राम्हण-सभा का मंत्री आगामी चुनाव में खड़ा होगा। उससे कहो कि यही मौका है ब्राम्हणों के वोट इकट्ठे ले लेने का।”
आज राधिका बाबू की तरफ से प्रस्ताव आया था कि बन्नू सावित्री से राखी बंधवा ले।
हमने नामंजूर कर दिया।
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