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भोपाल गैस हादसे के पीड़ित ने भारत से लंदन ओलंपिक का बहिष्कार करने को कहा
लंदन। भोपाल गैस हादसे के एक पीड़ित ने भारत से लंदन ओलंपिक का बहिष्कार करने को कहा है क्योंकि इसके आयोजन को डाउ केमिकल्स प्रायोजित कर रही है। दो दिसंबर 1984 की रात हुए भोपाल गैस हादसे में अपने माता-पिता सहित परिवार के सात सदस्यों को खो चुके संजय वर्मा ने इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन, यूरोप के सदस्यों से शुक्रवार शाम यहां कहा कि भारत सरकार को लंदन ओलंपिक का बहिष्कार करना चाहिए और यह खिलाड़ियों के ऊपर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे इसमें शामिल हों या नहीं। भारत में कार्यकर्ताओं का मानना है कि 1984 के भोपाल गैस हादसे को लेकर डाउ के भी उत्तरदायित्व हैं क्योंकि इसने बाद में यूनियन कारबाइड को खरीद लिया था जो दुर्घटना के समय संयंत्र की मालिक थी। हादसे के 17 साल बाद यूनियन कारबाइड को खरीदने वाली डाउ का कहना है कि उसके सभी दायित्व 1989 में पीड़ितों के साथ हुए मुआवजा समझौते के साथ पूरे हो गए थे। संजय वर्मा का जन्म भोपाल में हादसे से पांच महीने पहले हुआ था। उनका परिवार जयप्रकाश नगर में रहता था। उन्होंने कहा कि डाउ केमिकल्स ने हजारों लोगों को मार दिया। उसके हाथ खून से रंगे हैं और अब यह खून लंदन ओलंपिक तक जा रहा है। डाउ केमिकल्स के साथ अब कोई सौदा नहीं होना चाहिए। वर्मा ने कहा कि लंदन ओलंपिक आयोजन समिति के अध्यक्ष लॉर्ड सेबेस्टियन को समिति के अन्य सदस्यों के साथ भोपाल जाना चाहिए और देखना चाहिए कि डाउ केमिकल्स ने वहां क्या किया । प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर संजय वर्मा ने कहा कि मैं चाहूंगा कि गैस हादसे के पीड़ितों का पुनर्वास हो और उन्हें उचित उपचार मिले। लेकिन डाउ केमिकल्स और लंदन ओलंपिक 2012 में इसके प्रायोजन के खिलाफ प्रचार कर रहे लेबर फ्रेंड्स आफ इंडिया के अध्यक्ष बैरी गार्डिनर ने कहा कि भारत को ओलंपिक खेलों का बहिष्कार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलों के लिए खिलाड़ियों को लंबे समय तक प्रशिक्षण दिया जाता है और मुझे नहीं लगता कि खेलों के बहिष्कार से मदद मिलेगी। बहिष्कार पूरी तरह गलत होगा। मैं ओलंपिक समर्थक हूं, मेरे पिता ओलंपियन थे। गार्डिनर ने कहा कि यदि प्रदर्शन होते हैं, तो मैं नहीं चाहता कि वे खिलाड़ियों के लिए बाधा खड़ी करें। वे आयोजकों को निशाना बना सकते हैं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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