मीडिया ने लगाई मीडिया की वॉट
कोई भी राजकीय या केन्द्रीय सरकारी विभाग हो अथवा किसी प्रकार का कोई संघ हो- किसी पर कोई संकट आने पर सभी एकजुट होकर एक-दूसरे को बचाने के प्रयास में लग जाते हैं। यदि नैतिक अथवा कानूनी रूप से किसी कारणवश खुल्लमखुल्ला समर्थन करना सम्भव न हो तो पर्दे के पीछे से छिपकर गुपचुप रूप से समर्थन करने और बचाने का खेल जारी रहता है। किन्तु मीडिया के धन्धे में एकदम इससे उलटा है। यहाँ पर आपसी एकता बिल्कुल नहीं है। यहाँ पर किसी मीडियाकर्मी पर संकट आने पर एक-दूसरे को बचाने के स्थान पर 'टी०आर०पी० बढ़ाने का अच्छा मौका मिला' कहकर बड़ी ही बेदर्दी के साथ एक-दूसरे की टाँग पकड़कर घसीटने का खतरनाक खेल चालू हो जाता है। इसके प्रमाण में अभी हाल में दो घटनाएँ घटित हुईं। (अभी और है।)
Last edited by Rajat Vynar; 10-09-2015 at 08:35 AM.
|