Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
जब तक हम किसी कार्य में अपनी समस्त शक्तियाँ लगा नहीं पाते, मन एकाग्र नहीं करते तब तक वह कार्य पूर्ण नहीं हो सकता। कार्य जितना कठिन है उसके लिए उतने ही दृढ़ विश्वास एवं योगी की तरह तन्मय होकर निरन्तर प्रयत्न की आवश्यकता होती है। ईश्वरीय सत्ता भी उन्हीं की सहायता करती है जो स्वयं प्रयत्नशील हैं।
आत्मविश्वास, सतत् परिश्रम एवं दृढ़ निश्चय के समक्ष कुछ भी असम्भव नहीं है। इन्हीं गुणों के प्रकाश में ऐतिहासिक कार्य संसार में सम्पन्न हुए हैं। विद्वानों महापुरुषों धर्म प्रवर्तकों, योद्धाओं, सृजेताओं, शोधकर्ताओं के ज्वलन्त उदाहरण इस बात के साक्षी हैं कि उन्होंने आत्मविश्वास के आधार पर क्या नहीं कर दिखाया?
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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