07-08-2014, 01:17 PM
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अक्षरधाम मंदिर 21वीं सदी के सात अजूबों में श&a
अक्षरधाम मंदिर 21वीं सदी के सात अजूबों में शामिल
भारत में इस समय प्राचीन और नवीन ऐसी कई इमारतें और वास्तु कला के अनोखे अजूबे हैं जिन्हें दुनिया भर में प्रसिद्धि हासिल है. लालकिला, इंडिया गेट, केरल के मंदिर, सूर्य मंदिर, ताजमहल, अक्षरधाम मंदिर आदि ने ना सिर्फ भारत की सांस्कृतिक विरासत को हरा भरा किया बल्कि इससे देश में वास्तु कला और भवन निर्माण कला को भी एक शिखर तक पहुंचाया है. देश की शान कहे जाने वाले ताजमहल ने तो पहले से ही विश्व के सात नए अजूबों के तौर पर अपनी पहचान का लोहा मनवाया है और अब देश की एक और इमारत ने हमारा सर गर्व से ऊंचा किया है. भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित अक्षरधाम मंदिर को 21 वीं सदी के सात अजूबों में शामिल किया गया है.
अक्षरधाममंदिर (Akshardham Mandir) मात्र मंदिर ही नहीं बल्कि देश की विभिन्न संस्कृतियों का ऐसा बेजोड संगम है जहां पर भारत की 10 हजार साल पुरानी रहस्यमय सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है. यह विश्व का पहला ऐसा हिंदू मंदिर है जिसका प्रताप इतने कम समय में विश्व में फैला है और जिसका नाम अब गिनीज बुक आफ द व*र्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness World Records) में दर्ज हो गया है. अक्षरधाम मंदिर में 234 खंबे, नौका विहार (Boating) की सुविधा, सिनेमाघर (Cinema Hall) और करीब 20 हजार मूर्तियां हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनाती हैं. 06 नवंबर, 2005 को यह मंदिर बन कर तैयार हो गया था. यह इमारत दुनिया की सबसे अजीब इमारतों में इसलिए भी गिनी जाती है क्यूंकि पूरी इमारत में कहीं भी कंक्रीट या स्टील का इस्तेमाल नहीं हुआ है. इसमें बस गुलाबी बलुआ पत्थर लगे हैं. यह तीन हजार टन पत्थरों से निर्मित है.
भारतीय शिल्प कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतनी पहचान मिलने से देश को बहुत फायदा पहुंचेगा. देश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन इससे दायित्व भी बढ़ेगा, खासकर दिल्लीवासियों और दिल्ली सरकार का. अक्षरधाम मंदिर यमुना के तट पर स्थित है जहां से इसे गंदे पानी, दूषित हवा और प्रदूषण का हमेशा खतरा रहता है और ऊपर से आम लोगों की अनदेखी भी परेशानी की वजह बन सकती है. अक्सर अक्षरधाम जाने वाले आम दर्शक बाहर से ही घूम कर आ जाते हैं. वह मंदिर के अंदर नौका यात्रा और सिनेमा का मजा लेना नहीं चाहते क्यूंकि टिकट का अधिक मूल्य उन्हें फिजूलखर्ची लगती है. पर सबको समझना चाहिए कि इतनी बड़ी इमारत के रखरखाव के लिए अगर आपको कुछ् रुपयों का मूल्य चुकाना पड़े तो कोई बड़ी बात भी नहीं. इस मामले में दिल्ली सरकार का स्कूली बच्चों को अक्षरधाम की यात्रा करवाने का फैसला बहुत ही अच्छा है जिससे बच्चे अपनी संस्कृति से रूबरू हो सकें.
आशा है आने वाले दिनों में अच्छे रखरखाव और बेहतर शिल्प कला के लिए देश से और भी इमारतें विश्व पटल पर अपना परचम लहराएंगी और देश में पर्यटन को नई जिंदगी मिलेगी.
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Last edited by rafik; 07-08-2014 at 01:26 PM.
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