Re: Muhobbat
स्त्री के प्रेम की अभिव्यक्ति
प्रभा खेतान की आत्मकथा 'अन्या से अनन्या' के आधार पर
(इन्टरनेट से साभार)
प्रेम के संबंध में बायरन ने लिखा है- ‘‘पुरुष का प्रेम पुरुष के जीवन का एक हिस्सा भर होता है। लेकिन स्त्री का तो यह सम्पूर्ण अस्तित्व ही होता है।’’ इसका अर्थ यही हैकि स्त्री जब किसी से प्रेम करती है तो वह सिर्फ ईमानदार ही नहीं होती बल्कि उसमें समर्पण का भाव भी होता है। इस भावना के कारण ही वह भविष्य का सुनहरा सपना देखती है। ऐसा ही प्रेम प्रभा खेतान ने किया। उन्होंने कहा ‘‘प्रेम कोई योजना नहीं हुआ करता और न ही यह सोच समझकर किया जाने वाला प्रयास है। इसे मैं नियति भी मानूँगी क्योंकि इसके साथ आदमी की पूरी परिस्थिति जुड़ी होती है।’’ अतः सोच समझकर लाभ-हानि देखकर प्यार नहीं होता और न ही अकेलेपन को भरने के लिए। प्रभा खेतान का प्यार भी जीवन के खालीपन को भरने का माध्यम नहीं था बल्कि उनका सम्पूर्ण अस्तित्व था, जिसकी ओर बायरन ने इशारा किया है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 03-02-2015 at 09:52 PM.
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