Re: पापा की सज़ा
पापा पर मुकद्दमा चला। अदालत ने पापा केकेस में बहुत जल्दी ही निर्णय भी सुना दिया था। जज ने कहा, "मैं मिस्टरग्रीयर की हालत समझ सकता हूं। उन्होंने किसी वैर या द्वेश के कारण अपनीपत्नी की हत्या नहीं की है। दरअसल उनके इस व्यवहार का कारण अपनी पत्नी केप्रति अतिरिक्त प्रेम की भावना है। किन्तु हत्या तो हत्या है। हत्या हुई हैऔर हत्यारा हमारे सामने है जो कि अपना जुर्म कबूल भी कर रहा है। मिस्टरग्रीयर की उम्र का ध्यान रखते हुए उनके लिये यही सज़ा काफ़ी है कि वे अपनीबाकी ज़िन्दगी किसी ओल्ड पीपल्स होम में बिताएं। उन्हें वहां से बाहर जानेकि इजाज़त नहीं दी जायेगी। लेकिन उनकी पुत्री या परिवार का कोई भी सदस्यजेल के नियमों के अनुसार उनसे मुलाक़ात कर सकता है। दो साल के बाद, हर तीनमहीने में एक बार मिस्टर ग्रीयर अपने घर जा कर अपने परिवार के सदस्यों सेमुलाक़ात कर सकते हैं।"
मैं चिढ़चिढ़ी होती जा रही थी। कैनेथ भीपरेशान थे। बहुत समझाते, बहलाते। किन्तु मैं जिस यन्त्रणा से गुज़र रही थीवो किसी और को कैसे समझा पाती। किसी से बात करने को दिल भी नहीं करता था।कैनेथ ने बताया कि वोह दो बार पापा को जा कर मिल भी आया है। समझ नहीं आ रहाथा कि उसका धन्यवाद करूं या उससे लड़ाई करूं।
कैनेथ ने मुझे समझायाकि मेरा एक ही इलाज है। मुझे जा कर अपने पापा से मिल आना चाहिये। यदि जीचाहे तो उनसे ख़ूब लड़ाई करूं। कोशिश करूं कि उन्हें माफ़ कर सकूं। क्यामेरे लिये पापा को माफ़ कर पाना इतना ही आसान है? तनाव है कि बढ़ता ही जारहा है। सिर दर्द से फटता रहता है। पापा का चेहरा बार बार सामने आता है। फिर अचानक मां की लाश मुझे झिंझोड़ने लगती है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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