रीति, प्रीति सबसौं भली, बैर न हित मित गोत।
रहिमन याहि जनम की, बहुरि न संगत होत।।
इसका अर्थ है कि प्रेम से हिल मिल कर रहना ही अच्छा होता है खास तौर पर अपने हितेषी, मित्रों और गोत्र वालों से कभी भी बैर नहीं रखना चाहिए. ये एक ही तो जनम मिला है फिर पता नहीं ये शरीर मिले या ना मिले.
__________________
Last edited by aksh; 28-10-2010 at 04:11 PM.
|