Re: भगवान दत्तात्रेय और उनके 24 गुरु
भगवान दत्तात्रेय और उनके 24 गुरु
कबूतर- कबूतर का जोड़ा जाल में फंसे बच्चों को देखकर खुद
भी जाल में जा फंसता है। इनसे यह सबक
लिया जा सकता है कि किसी से बहुत ज्यादा स्नेह
दु:ख ही वजह होता है।
सूर्य- सूर्य से दत्तात्रेय ने सीखा कि जिस तरह एक
ही होने पर भी सूर्य अलग-अलग
माध्यमों से अलग-अलग दिखाई देता है।
आत्मा भी एक ही है, लेकिन कई रूपों में
दिखाई देती है।
वायु- जिस प्रकार अच्छी या बुरी जगह
पर जाने के बाद वायु का मूल रूप स्वच्छता ही है।
उसी तरह अच्छे या बुरे लोगों के साथ रहने पर
भी हमें
अपनी अच्छाइयों को छोडऩा नहीं चाहिए।
हिरण- हिरण उछल-कूद, संगीत, मौज-
मस्ती में इतना खो जाता है कि उसे अपने आसपास
शेर या अन्य किसी हिसंक जानवर के होने का आभास
ही नहीं होता है और वह मारा जाता है।
इससे यह सीखा जा सकता है कि हमें
कभी भी मौज-मस्ती में
इतना लापरवाह नहीं होना चाहिए।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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