14-11-2014, 01:06 PM
|
#1029
|
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
|
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
हम तो अभी मोहब्बत में जी भी ना पाए थे
कि आप ने नफरतों में जीना सिखा दिया !...........
(अज्ञात)
|
यही फ़ज़ा थी, यही रुत, यही ज़माना था
यहीं से हमने मुहब्बत की इब्तदा की थी
धड़कते दिल से, लरज़ती हुई निगाहों से
हुजूरे - ग़ैब में नन्हीं सी इल्तिजा की थी
कि आरज़ू के कंवल खिल के फूल हो जाएं
दिलो - नज़र की दुआएं क़बूल हो जाएं
(साहिर लुधियानवी)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|
|
|