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Originally Posted by ranveer
खैर कोई बात नहीं.............चलिए मै एक और सवाल पूछता हूँ -
" क्या एक लोकतांत्रिक देश में नक्सलवाद जैसी विचारधारा का उपजना सही है ? "
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कतई नहीँ , अगरचे वास्तव मेँ लोकतान्त्रिक देश हो । संविधान की मूल भावना के अनुरूप कल्याणकारी राज्य की अवस्थापना अथवा पुरजोर क़ोशिशेँ ऐसी समस्याओँ को जन्म ही नहीँ देँगी । परन्तु जब लोकतन्त्र के नाम पर लोगोँ के हितोँ से , उनकी अस्मिता से खेला जायेगा तो समाज का वह उपेक्षित , सर्वहारा , शोषित वर्ग असंतोष की ज्वाला मेँ , विषमताओँ के नैराश्य मेँ नक्सलवाद क्या किसी भी वाद का दामन थामने को विवश होगा । यही विसंगतियां विप्लव की कारक बनती हैँ । एक तबका अपने हितोँ को संरक्षित करने , अन्याय का सामना करने मेँ जब स्वयं को लाचार पाता है तो वह विद्रोह करने के लिये विवश हो जाता है । आख़िर क्योँ नक्सली क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनोँ , उनकी खनिज सम्पदा का भरपूर दोहन कर अन्य क्षेत्रोँ का विकास सतत् है । क्या विकास मेँ उनकी भागीदारी न्यायोचित नहीँ है ? उन्हेँ हाशिये पर डाले रखने की पृष्ठभूमि मेँ क्या उनका कोई अपराध है ? क्या एक लोकतान्त्रिक सरकार को व्यापारी मानसिकता से ग्रस्त होकर ज्यादा टैक्स चुकाने वाले क्षेत्रोँ पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करना उचित है ? क्या एक लोकतान्त्रिक सरकार का दृष्टिकोण सम्यक् व समभाव युक्त नहीँ होना चाहिये ।