Re: मिर्ज़ा ग़ालिब की विनोद प्रियता
ग़दर के बाद जब कि मिर्ज़ा ग़ालिब की पेंशन बंद थी और दरबार में शरीक होने की इजाज़त न हुई थी, पंडित मोती लाल मिर्ज़ा साहब से मिलने आये.कुछ पेंशन का ज़िक्र चला. मिर्ज़ा साहब ने कहा,”तमाम उम्र में एक दिन शराब न पी हो तो काफ़िर और एक दफा नमाज़ पढ़ी हो तो गुनाहगार. फिर नहीं जानता कि सरकार ने किस तरह मुझे बाग़ी मुसलामानों में शुमार किया?”
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एक दफा मिर्ज़ा मकान बदलना चाहते थे.एक मकान आप खुद देख कर आये.उस का दीवानखाना तो पसंद आ गया, मगर महलसरा खुद न देख सके. घर पर आ कर उसके देखने के लिए बीबी को भेजा. वह देख कर आयीं तो उन से पसंद और नापसन का हाल पूछा. उन्होंने कहा,
“उस में तो लोग बला बतलाते हैं.”
मिर्ज़ा ने कहा: ”क्या दुनिया में आप से भी बढ़ कर कोई बला है?
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