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छठ के लिये ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में उमड़ी भीड़
प्रतापगढ ! बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष तौर से मनाया जाने वाला छठ महापर्व आज ‘नहाय-खाय‘ के साथ शुरू हो गया। यह महापर्व दो नवंबर की सुबह उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न हो जाएगा। गौरतलब है कि छठ एक अत्यन्त कठिन व्रत है, जिसमें शुद्धता और स्वच्छता पर बहुत ध्यान रखा जाता है क्योंकि बाकी देवी-देवता प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देते, जबकि सूर्य एक ऐसे देवता हैं जो प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं। तीन दिनों के इस महापर्व पर सूर्य की पूजा एवं आराधना के लिये प्रतापगढ-इलाहाबाद जनपद सीमा पर गौरा (शिवगंज) में स्थित ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर पर विशेषकर महिलाओं की भीड़ उमड़ने लगी है। आठवीं शताब्दी में निर्मित इस सूर्य मन्दिर को मुगल बादशाह औरंगजेब के एक फरमान के बाद ध्वस्त कर दिया गया, लेकिन सूर्य देवता की विशाल मूर्ति एवं एक विशाल शिवलिंग नष्ट होने से बचा रहा। प्रतापगढ के मान्धाता से 10 किलोमीटर पर गौरा (शिवगंज) ‘सूर्य मन्दिर‘ के भग्नावशेष को पुरातत्व विभाग पुरावशेष एवं बहुमूल्य कलाकृति 1972 के नियमों के तहत पूर्व मध्यकाल की धरोहर मानकर ‘पंजीकृत‘ करने की औपचारिकता पूरी कर रहा है। इससे मन्दिर के सात प्रमुख मूर्तियों एवं वस्तुओं को संरक्षित किया जा सकेगा।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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