Re: शायर व शायरी
शायर व शायरी
साभार: अभि शर्मा 'मित्र'
कुछ अश'आर
बना कर हमसफ़र अपना सफ़र में छोड़ जाते हैं
भरोसा आजकल जिनपे करो वो तोड़ जाते हैं
मुझे अपना बना लेना बहुत आसान है यारों
मगर तकलीफ़ उनसे है कि जो मुंह मोड़ जाते हैं
किताबों में हमें मिलती रहीं हैं प्यार की बातें
हकीकत में कहां ऐसे जो रिश्ते जोड़ जाते हैं
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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