3 इंजीनियर एक अरब मुल्क में काम करने को गए वहां उनसे कोई चूक हो गई और वहां के जो शेख थे उन्होंने उन तीनों को मौत की सजा सुना दी। अब जब तीनों को मौत की सजा सुनाई तो तीनों की सांस अटक गई और बचने का कोई रास्ता नहीं था। तीनों को ले गए और तीनों को एक टेबल पर लेटाने के लिए कहा गया।
पहला व्यक्ति जब टेबल पर लेटा उसी टेबल पर गर्दन काटने वाली मशीन लगी थी। वो मशीन की आरी आगे चल कर आती और उसकी गर्दन को काट देती। उसको समझ आ गया था कि बचने का कोई रास्ता नहीं तो उसने भगवान से प्रार्थना की और आरी घूमी और घूमते हुए गर्दन के पास जाकर आवाज करके रुक गई। ये देखकर शेख ने कहा अल्लाह की मर्जी है इसकी जान बचाने की तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं और उसे शेख ने बोला जाओ तुम्हारी जान बख्श दी।
फिर दूसरा इंजीनियर आया उसको भी लेटने के लिए कहा गया वह लेटा और फिर से मशीन चालू हुई और आरी घूमते हुए गर्दन तक पहुंची और बिल्कुल गर्दन के ऊपर जाकर फिर से रुक गई और उस आदमी की जान में जान आई। ये देख शेख कहता है कि इस बार अल्लाह बहुत मेहरबान है और अल्लाह की भी मर्जी है इसको बचाने की और उसको भी छोड़ दिया जाता है।
तीसरा इंजीनियर बहुत देर से यह सब कुछ देख रहा होता है और जब उसे टेबल पर लेटाया जाता है तो वो टेबल पर लेटकर शेख को बोलता है की क्या है बार-बार अल्लाह की मर्जी अल्लाह की मर्जी करते जा रहे हो यह जो आरी घूम कर आ रही है इसका नट ढीला है यह इसीलिए यहां तक पहुंच कर रुक जाती है। उसके बाद उस नट को कस दिया गया