Re: 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस
दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए
भारतीय सिनेमा जगत में देश भक्ति से परिपूर्ण फिल्मों और गीतों की एक अहम भूमिका रही है और इनके माध्यम से फिल्मकार लोगो में देशभक्ति के जज्बे को आज भी बुलंद करते हैं। निर्देशक ज्ञान मुखर्जी की वर्ष 1940 में प्रदर्शित फिल्म बंधन संभवत: पहली फिल्म थी, जिसमें देश प्रेम की भावना को रूपहले परदे पर दिखाया गया था । यूं तो फिल्म बंधन मे कवि प्रदीप के लिखे सभी गीत लोकप्रिय हुए लेकिन चल चल रे नौजवान के बोल वाले गीत ने आजादी के दीवानो में एक नया जोश भरने का काम किया। अपने इस गीत से प्रदीप ने गुलामी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और अंग्रेजो के विरूद्ध भारतीयों के संघर्ष को एक नई दिशा दी।
वर्ष 1943 में देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत फिल्म किस्मत प्रदर्शित हुई। फिल्म में प्रदीप के लिखे गीत आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो ए दुनियां वालो हिंदुस्तान हमारा है ने जहां एक ओर स्वतंत्रता सेनानियों को झकझोरा वहीं अंग्रेजों की तिरछी नजर के भी वह शिकार हुए। कवि प्रदीप का यह गीत एक तरह से अंग्रेज सरकार पर सीधा प्रहार था। कवि प्रदीप के क्रांतिकारी विचार को देखकर अंग्रेज सरकार द्वारा गिरफ्तारी का वारंट भी निकाला गया। गिरफ्तारी से बचने के लिये कवि प्रदीप को कुछ दिनों के लिए भूमिगत रहना पड़ा।
कवि प्रदीप का लिखा यह गीत इस कदर लोकप्रिय हुआ कि सिनेमा हॉल में दर्शक इसे बार बार सुनने की ख्वाहिश करने लगे और फिल्म की समाप्ति पर दर्शको की मांग पर इस गीत को सिनेमा हॉल मे दुबारा सुनाया जाने लगा। इसके साथ ही फिल्म किस्मत ने बॉक्स आॅफिस के सारे रिकार्ड तोड़ दिए और इस फिल्म ने कलकत्ता (अब कोलकाता) के एक सिनेमा हॉल मे लगातार लगभग चार वर्ष तक चलने का रिकार्ड बनाया।
यूं तो भारतीय सिनेमा जगत में वीरो को श्रद्धांजलि देने के लिए अब तक न जाने कितने गीतों की रचना हुई है, लेकिन ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आंखों में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी जैसे देश प्रेम की अदभुत भावना से ओत प्रोत रामचंद्र द्विवेदी उर्फ कवि प्रदीप के इस गीत की बात ही कुछ और है।
वर्ष 1962 में जब भारत और चीन का युद्व अपने चरम पर था तब कवि प्रदीप, परम वीर मेजर शैतान सिंह की बहादुरी और बलिदान से काफी प्रभावित हुए और देश के वीरों को श्रद्धाजंलि देने के लिए उन्होंने गीत की रचना की ।
सी. रामचंद्र के संगीत निर्देशन मे एक कार्यक्रम के दौरान स्वर सम्राज्ञी लता मंगेश्कर से देश भक्ति की भावना से परिपूर्ण इस गीत को सुन कर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूकी आंखो मे आंसू छलक आए थे। ऐ मेरे वतन के लोगो आज भी भारत के महान देशभक्ति गीत के रूप मे याद किया जाता है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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