अपान वायु मुद्रा
मुद्रा बनाने का तरीका-
अपने हाथ की तर्जनी उंगली को अंगूठे की जड़ में लगाकर अंगूठे के आगे के भाग को मध्यमा उंगली और अनामिका उंगली के आगे के सिरे से लगा देने से अपानवायु मुद्रा बनती है लेकिन कनिष्ठका (छोटी उंगली) उंगली बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए।
लाभकारी-
ये मुद्रा दिल के रोगों में तुरंत ही असर दिखाती है। किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने पर ये मुद्रा करने से तुरंत ही लाभ होता है। दिल के रोगों के साथ-साथ अपानवायु मुद्रा आधे सिर का दर्द भी तुरंत ही कम कर देती है। इसके निरंतर अभ्यास से पेट के सभी रोग जैसे पेट में गैस आदि तथा पुराने रोग जैसे गठिया और जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
समय-
अपानवायु मुद्रा को सुबह और शाम लगभग 15-15 मिनट तक करना चाहिए।
जानकारी-
इस मुद्रा को करने से दिल के रोग और ब्लडप्रेशर जैसे रोग पूरी तरह जड़ से समाप्त हो जाते हैं।