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बर्लिन की दीवार
7 नवंबर 1989 तक प्रदर्शनकारी पूर्व जर्मनी की राजधानी तक पहुंच चुके थे. सैकड़ों हजार लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों पर उतर आए थे. उनका स्लोगन था 'नो वॉयलेंस'. जीडीआर के 40 साल के इतिहास में यह सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जाता है. उसके ठीक बाद ही दीवार को गिराकर पश्चिमी और पूर्वी जर्मनी को एक कर दिया गया. बर्लिन यूरोप की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में सबसे बड़ा योगदान देता है.
सोवियत संघ के पतन और शीत युद्ध के अंत के बादबर्लिन की दीवार एकमात्र बाधा नहीं थी जो दूर हुई बल्कि इसके साथ ही धन, व्यापार, लोगों और विचारों के प्रवाह को बाधित करने वालो अवरोधों का भी पतन हो गया।
इस सिल्वर जुबिली के अवसर पर जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने पूर्वी जर्मनी की कम्युनिस्ट सरकार के दौर में मारे गए लोगों की याद में समारोह में हिस्सा लिया. चांसलर मार्केल और दूसरे अन्य अधिकारीयों ने बर्लिन वॉल मेमोरियल पर फूल रखकर उन शहीदों को याद किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस बात समझना बेहद जरूरी है कि इस दीवार के कारण पूरा जर्मनी ही नहीं, बल्कि पूर्वी यूरोप भी पीड़ित रहा है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 10-11-2014 at 09:32 AM.
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