Quote:
Originally Posted by rajnish manga
[....azadi etani pyaari kyun kahlati
or man ko bhaati kyun hai
na koi bandhan na koi krandan
manvta ab dharti se gai
wahan nahi hai aapna koi
....]
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति. मानव व धरती के निरंतर विघटित होते जा रहे अंतर्संबंधों का काव्यात्मक चित्रण जो सोचने के लिये हमें मजबूर करता है. धन्यवाद, पुष्पा जी.
|
बहुत बहुत धन्यवाद सह हार्दिक आभार भाई ,.. माफ़ी चाहती हूँ भाई आपके कमेंट पता नहीं कैसे देख न पाई
आप हरेक लेखक की रचना को बेहद बारीकी से पढ़ते हो और अत्यंत रूचि पूर्ण ढंग से अपने विचार रखते हो जिससे लिखने वाले को प्रेरणा के साथ मार्गदर्शन भी मिल जाता है .