Re: मुहावरों की कहानी
मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग
सुप्रेम त्रिवेदी
स्कूल के दौरान इससे मज़ेदार और सृजनात्मक लेखन प्रश्नोत्तरों के दौरानशायद ही किसी ने किये हों. हमारी (इसे कुछ लोग मेरी भी कहते हैं, लेकिन हम लखनऊवासी 'मैं' को 'मैं' नहीं 'हम' कहते हैं क्योंकि हम कभी अकेलेनहीं चलते, जहाँ चलते हैं चार लड़के दायें बाएँ हमेशा रहते हैं.) हिंदी कीअध्यापिका महोदया हमेशा हमसे इसीलिए परेशान रहीं. कभी हम इस प्रश्न काउत्तर खाली छोड़ के नहीं आये. एक वाक्य बोलिन तौ दुई लिखेन की एक तौ सहीहुइबे करिहै. एक बार तो उन्होंने हद्द ही कर दी. प्रश्न में सिर्फ वाक्यप्रयोग करने को बोला अर्थ लिखने को नहीं. हम बड़े खुश ... पढ़ लो ये रायताफैलाये थे हम.
सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना:मेरी सिट्टी-पिट्टी बहुत दिनों से गुम है, मिलती ही नहीं.
असमान फट पड़ना:मेरा असमान बहुत दिनों से फटा पड़ा है. कृपया उसे जोड़ दें.
अब इस पर नंबर तो मिले नहीं. हाँ लेकिन सबके सामने बुला के वाह-वाही खूबमिली, और क्लास से तीन दिन की छुट्टी भी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 13-10-2014 at 11:27 PM.
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