Re: मेलजोल
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में एक दारोगा द्वारा अपनी सर्विस रिवाॅल्वर से एक वकील की हत्या के उपरान्त वकील और पुलिस के बीच मचे घमासान की ख़बरें आप तक ज़रूर पहुँच रही होंगी। इन ख़बरों को पढ़कर शायद कुछ लोग कबीर और रहीम के उपरोक्त प्रतिरूपी दोहों को यह कहकर गलत साबित करने की कोशिश करें कि वकील और पुलिस की आपस में मिलीभगत होती तो वे आपस में क्यों लड़ते? इस सन्दर्भ में हम यहाँ पर यह बता दें कि दो लोग जब एक-दूसरे को बिल्कुल नहीं जानते तो आपस में बिल्कुल नहीं लड़ते। लड़ते वही लोग हैं जो एक-दूसरे के निकट होते हैं। लड़ते तो सगे भाई भी हैं। महाभारत का महायुद्ध भी भाइयों के बीच ही हुआ था। सम्पत्ति के लिए युद्ध करने की शिक्षा देने वाले भगवान् कृष्ण की शिक्षा आज तक हम भूले नहीं और भाई भाई आपस में सम्पत्ति के बँटवारे के लिए आज भी ‘महाभारत’ लड़ रहे हैं। इन परिस्थितियों में वकील और पुलिस आज लड़ रहे हैं तो क्या हुआ? हमेशा थोड़े ही लड़ते रहेंगे। आज इनमें कुट्टी हुई है तो कल मिल्ली भी हो जाएगी। इनके बीच की लड़ाई शान्त होगी तो फिर ये एक-दूसरे को याद करके हिचकियाँ ले-लेकर रोने लगेंगे और फिर इनकी आपस में मिल्ली हो जाएगी। फिर साथ में चाय-काॅफ़ी चलेगी क्या, दौड़ेगी। कुछ लोग शायद यह कहने की धृष्टता कर बैठें कि सिर्फ़ इलाहाबाद के वकील ही उग्र और लड़ाकू होते हैं तो हम यह बताते चलें कि यह एक भ्रामक तथ्य है, क्योकि सम्पूर्ण देश के वकील शूरवीर और महावीर होते हैं। चेन्नई के एग्मोर कोर्ट में कुछ वकीलों द्वारा गवाहों का सिर फोड़ने की घटना शायद आपने उत्तर भारत के समाचार-पत्रों में न पढ़ी हो, मैंने पढ़ी है। यही नहीं, फरवरी, 2008 में चेन्नई हाईकोर्ट परिसर में घुसकर पुलिस द्वारा वकीलों को पीटने की घटना भी एक साक्ष्य है। इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कण्डेय काट्जू द्वारा फेसबुक पर 20 फरवरी, 2015 को अपलोड किया गया एक वीडियो इस बात का ज्वलन्त साक्ष्य है कि चेन्नई ही नहीं, तमिलनाडु के तिरुच्चिरापल्ली जिले के वकील और पुलिस किस प्रकार आपस में भिड़ रहे हैं। लिंक नीचे दिया जा रहा है-
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