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Old 12-07-2016, 08:25 PM   #1
rajnish manga
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Default पानी और पर्यावरण

पानी और पर्यावरण
साभार: डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा अरूण

इक्कीसवीं शताब्दी में मानव-जीवन के सरोकारों में यदि सबसे बड़ा कोई सरोकारआज माना जा सकता है तो निश्चित रूप से वह पर्यावरणही है। सम्पूर्णविश्व आज निरन्तर बढ़तेपर्यावरण-प्रदूषण की विभीषिकासे संत्रस्तहै। नदियाँ सूख रही हैं; तालाबों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है:-प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंद दोहन के कारण मानव का जीवन विनाश के कगारपर जा पहुँचा है, तो बढ़ते आणविक-युद्ध की विभीषिका ने विश्व-मानव की नींदउड़ा दी है।

साहित्य अपने युगीन-समाज की धड़कन बनता आया है, चूँकि साहित्य के माध्यम सेही मानव-मन की चिन्ताओं की अभिव्यक्ति होती है और तभी चिन्ताओं से मुक्तिका चिन्तनरचनाकार करते हैं।

प्रत्येक युग में साहित्य-साधकों ने शब्द -ब्रह्मकी साधना करते हुए मानवकी धात्री प्रकृतिका भी भाव-पूर्ण स्तवन किया है। मानव-जीवन का आधारकहे जाने वाले पंच महाभूतोंका स्तवन साहित्य में निरन्तर होता आया है।महाकवि तुलसी के मानसमें हमें प्रकृति के साथ-साथ गंगा और सरयू केमाध्यम से पर्यावरणका चिन्तन मिलता है, तो कविवर रहीम तो पानीकेमाध्यम से जीवन के तत्वका ज्ञान करा देते हैं-
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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