22-06-2014, 10:24 PM
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#507
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by dr.shree vijay
ग़म नहीं ग़र कम भी हों, मेरी कलम-ए-रोशनाई !
लहू-ए-आदम भिखरा तो है, हर नक्श-ए-क़ायनात तलक !!.........
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कुमुक सूरज की आने तक तुझे ही जूझना होगा
चराग़े-शब वो अंधियारे की सुल्तानी पलट आयी
मुहब्बत करने वाले ....जानेमन तनहा नहीं रहते
तेरे जाते ही घर में .....देख वीरानी पलट आयी
(तुफ़ैल चतुर्वेदी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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