Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
ये क्या उठाये क़दम और आ गई मन्ज़िल,
मज़ा तो जब है कि पैरों में कुछ थकन रहे........
राहत इन्दौरी.......
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हैं दगाबाज़ सियासत के हठीले चेहरे
हमने देखे हैं फसादात में पीले चेहरे
कौन देखेगा अश्क माओं के बहनों के
नौनिहालों के बुजुर्गों के ये गीले चेहरे
(रजनीश मंगा)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 23-06-2014 at 10:14 PM.
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