Re: पारख साहब के दिलचस्प किस्से
आज हमें परिवार, समाज और अपने आसपास पारख साहब जैसे लोगों की बड़ी कमी महसूस होती है जो अपनी समझदारी, अनुभव तथा हाजिर जवाबी से वातावरण को खुशनुमा तथा जीवंत बना देते हैं. उनकी सादगी, उनकी हँसी, उनकी जीवन्तता व उनका आत्म-अनुशासन कम देखने को मिलता है. उन जैसे लोग अब क्यों नहीं मिलते? उनको याद करते ही हमारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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