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Old 18-04-2013, 11:52 PM   #2
rajnish manga
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Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

कौरव स्वर्ग में और पांडव नरक में क्यों गए ?

महाभारत युद्ध में कौरवों को पराजित करने के बाद जब पाँचों पांडवों को अपनी पत्नि द्रौपदी के साथ हस्तिनापुर पर राज्य करते हुए 36 वर्षों व्यतीत हो गये तो उन्होंने यह सोचा कि उन्होंने धर्मानुसार राज्य का संचालन कर पर्याप्त पुण्य अर्जित कर लिया है जिसके आधार पर वे बिना किसी असुविधा के सशरीर स्वर्ग की ओर आरोहण कर सकते हैं. स्वर्गारोहण के निमित्त उन्होंने मेरु पर्वत पर चढ़ना शुरू किया. दुर्भाग्य से राह में ही वे फिसल कर एक एक कर मृत्यु को प्राप्त हुए. सर्वप्रथम द्रौपदी मृत्यु को प्राप्त हुयी. यह इसलिए क्योंकि वह दोष-मुक्त न थी; उसका दोष यह था कि वह अर्जुन को अपने अन्य पतियों की तुलना में अधिक चाहती थी. उसके बाद सहदेव मृत्यु को प्राप्त हुआ. उसमे यह दोष था कि उसे अपने ज्ञान का घमंड हो गया था. सहदेव के बाद नकुल मृत्यु को प्राप्त हुआ क्योंकि उसे अपने रूपवान होने का घमंड था जो कि एक दोष था. फिर अर्जुन का वही हाल हुआ क्योंकि वह अपने सम्मुख किसी अन्य धनुर्धारी योद्धा को कुछ नहीं समझता था. उसके बाद भीम ने प्राण त्यागे. उसका दोष था कि वह बहुत अधिक खाता था. केवल पांडव भाइयों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ही आकाश से पार देवलोक में पहुँच सके. वहा पहुँच कर उसे यह देख कर बहुत वेदना हुयी कि वहां सारे कौरव तो दिखाई दे रहे थे लेकिन उसके भाइयों तथा द्रौपदी का कई अता-पता न था. इस पर युधिष्ठिर ने यमराज से पूछा कि ऐसा क्यों है?

यमराज ने उसकी शंका का समाधान करते हुए कहा, “कौरव युद्धभूमि में क्षत्रियों की भाँति लड़ते हुए और अपने कर्तव्य का पालन करते हुए मृत्यु को प्राप्त हुए, उन्होंने वही किया जो उन्हें करना चाहिए था. ऐसा करने से उन्हें इतने पुण्य की प्राप्ति हुयी कि उनके दोष धुल गये. आगे युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और पत्नि के बारे में पूछा. यमराज ने बताया कि वे अपने कर्मों का फल भुगत रहे हैं. युधिष्ठिर को पाताल लोक में ले जाया गया जहाँ नरक का दृश्य अंधकारपूर्ण और भयानक था, जहाँ रहने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा था व भीषण यातनाएं दी जा रही थीं. युधिष्ठिर ने वहां से जाने के लिए मना कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं इस दुःख की घड़ी में अपने भाइयों और पत्नि को छोड़ कर कहीं नहीं जाऊँगा. यमराज ने समझाया कि नरक का यह आवास सदा के लिए नहीं है बल्कि थोड़े समय के लिए है. जैसे ही वे अपने कर्मों का प्रतिफल भुगत लेंगे वैसे ही वे भी कौरवों के साथ ही स्वर्ग में चले जायेंगे. तुम्हें भी जीवन में (एक मात्र) झूट बोलने के लिए कुछ समय के लिए नरक में जाना पड़ेगा.

Last edited by rajnish manga; 18-04-2013 at 11:56 PM.
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