Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
तभी अचानक जो हुआ वह चौंकाने वाला था। मेहमान, मेहमान कहकर वह चिल्लाने लगी वह भी मुझे देखकर। मैं डर गया।
‘‘मेहमान, हमर मेहमान’’
कहकर वह अचानक उठी और मेरी ओर बढ़कर मेरा कलाई पकड़ लिया। तभी लोग दौडे और उसके कब्जे से मेरा हाथ छुड़ाया, मैं वहां से भाग खड़ा हुआ। मेहमान गांव में दामाद को कहते है और उसने इसी हैसियत से मेरी कलाई पकड़ ली थी। गब्बेबली को भक्तीनी की संज्ञा दे दी गई थी और लोग बाद में भी उससे अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए आया करते। पर आज अचानक उसके मुंह से निकले मेहमान शब्द ने गांव में हंगामा मचा दिया। इसका अंदाजा मुझे तब हुआ जब शाम की बैठकी में चर्चा का विषय मैं ही था। मैं वहीं से गुजर रहा था कि आवाज आई।
‘‘अब, जब मिंया साहब कह देलखिन तो केकरो रोकला से रूकतै।’’
‘‘बोलो तो, बैसे तो उ हमेशा एकर विरोध में रहो है पर आज अचानक मेहमान कहे लगलै।’’
‘‘ हां हो, पर अर्जून दा मानथींन तब तो, वहां तो नौकरी के धमड़ है और बब्लुआ निधुरीया।’’ (निधुरिया-जिसके पास जमीन नहीं हो।)
‘‘हां हो तब तो गरीब के दुनिया में बास करे के हक नै है। फेर सुराज दा बाला भी खेता सब ऐकरे होतै और पढ़े मे मन लगैबे करो है, ऐकर पर ध्यान दे देथिन त की होतई।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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