Re: तीस साल बाद
'' बच्चे कितने बडे हो गए हैं? '' सरोज ने पूछा।
'' उसी उम्र में हैं, जिसमें मैंने यह खत लिखा था। ''
'' शादी हो गई या अभी खत ही लिख रहे हैं? '' सरोज ने ठहाका लगाया। कपिल ने साथ दिया।
'' बडे क़ी शादी हो चुकी है, दूसरे के लिये लडक़ी की तलाश है। ''
'' क्या करते हैं? '' बुजुर्ग महिला ने पूछा।
'' बडा बेटा जिलाधिकारी र्है बहराइच में और छोटा मेरे साथ वकालत कर रहा है। मगर वह अभी कॉम्पीटीशन्स में बैठना चाहता है। सरोज की माँग में सिंदूर देख कर कपिल ने पूछा, तुम्हारे बच्चे कितने बडे हैं? ''
'' दो बेटियाँ हैं। एक डॉक्टर है, दूसरी डॉक्टरी पढ रही है। ''
'' किसी डॉक्टर से शादी हो गई थी? '' कपिल ने पूछा।
'' बडे होशियार हो। '' सरोज ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया ।
'' तुम भी कम होशियार नहीं थीं।''कपिल ने कहा। कपिल के दिमाग में वह दृश्य कौंध गया, जब कक्षा की पिकनिक के दौरान नौका विहार करते हुए सरोज ने एक फिल्मी गीत गाया था, '' तुमसे आया न गया, हमसे बुलाया न गया... ''
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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