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Old 30-06-2015, 10:41 PM   #1
Deep_
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Default "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १



बचपन के दिनों मे मैने लुगदी साहित्य बहूत पढा है। चंपक, चंदामामा, लोटपोट और चाचा चौधरी का दिवाना तो मै था ही...लेकिन फिर नोवेल पढने को बहुत जी चाहने लगा। पापा ने कहा की उपर छज्जे पर शायद कोई नोवेल पड़ी हो। मै उसी दिन नोवेल ढुंढने चडा और एक नोवेल मिली।

उसका कवर पेज नहीं था, लेखक का नाम भी गुम था, टाईटल भी पता नहीं चला। लेकिन एक बार बीच वाले पन्नों पर कहीं नीचे नाम छपा था शायद वही उस नोवल का नाम था...कहानी के साथ भी मिल रहा था। वह नाम फिर मै कभी नहीं भुला... "आरोप"

वह दिन था और आज का दिन है। मुझे आज भी वह नोवेल बह्त ही ज्यादा पसंद है। मैने संभाल कर रखी है।

उसे पढने के बाद मुझे लगा की पहली/एक नोवेल पढने में ही ईतना मझा आया है तो आगे क्या होगा? ईस उम्मीद में मैने कई अच्छी-बुरी नोवेल भाडे से मंगवा कर पढी। लेकिन सालों बितने के बाद एक ही नोवेल एसी लगी जो फिर से दिल को छु गई...उसके लिए दुसरा सुत्र बनाउंगा!

Last edited by Deep_; 05-08-2016 at 11:05 AM.
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