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Originally Posted by deep_
सच कहुं तो शादी जीवन का सबसे बड़ा त्यौहार है, सबसे बड़ी खुशी है। हम यही मानतें है की ईसमें पैसो की वजह से कोई कमी न रह जाए। पैसों की यहां कम और खुशीयों की अधिक महत्ता होती है। सो हम यथाशक्ति खर्च करतें है। हां, हम सबकी प्रायोरिटीझ अलग अलग होती है। शायद कोई अधिक खर्च न करना चाहे और वही पैसे भविष्य के योजनाओं मे लगाए यह भी योग्य है।
हमें कभी लगता है फलां ने बहूत खर्च कर दिया, फलां ने कैसी कंजूसी की! लेकिन एक बात बता दूं...हम में से ज्यादातर लोग यही सोचतें है की अगर पैसो की कमी न होती तो हेलिकोप्टर में आते और केटरीना कैफ को ब्याह ले जाते!
हाला की शादी में होने वाले खाने का व्यय मुझे सबसे ज्यादा ना पसंद है!
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बहुत बहुत धन्यवाद दीप जी ,सही कहा आपने इन्सान का बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है ये ,.. मेरा इस बहस को यहाँ छेड़ने का आशय यही था की हम क्यों शादी के नाम लाखो रुपये खर्च कर डालते हैं इन्ही पैसों से यदि हम किसी अन्य गरीब की बेटी की शादी करवा दे या किसी विद्यार्थी की फ़ीस भरकर उसे आगे और पढ़ायें उसका जीवन बना दें तो मेरे विचार से ये उस ख़ुशी से ज्यदा बड़ी ख़ुशी की उपलब्धि होगी पर यहाँ ये कदापि न समझा जाय की मैं खुशियाँ मनाने के विरुध्ध हूँ खुशिया कम पैसों में भी मनाई जा सकती है बिना दिखावे के .
आपके इस मत से सहमत हूँ मैं की ,शायद कोई अधिक खर्च न करना चाहे और वही पैसे भविष्य के योजनाओं मे लगाए यह भी योग्य है।