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Old 03-10-2015, 12:11 AM   #2
soni pushpa
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Default Re: वाल्टेयर (Voltaire)

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Originally Posted by rajnish manga View Post
वाल्टेयर (फ्रांस के प्रबुद्ध लेखक, इतिहासकार व दार्शनिक)
voltaire (french witer, historian and philosopher)
(21/11/1694 – 30/05/1778)



एक नादान चूहे की किसी खरगोश से दोस्ती थी। चूहा खरगोश से कहता, ‘अपने जैसा मुझे भी बना ली।

जब चूहे ने हठ न छोड़ी, तो खरगोश ने उसे गुड़ की चाशनी में स्नान कराया और रुई में लोट जाने की सलाह दी। चूहे की देह पर रुई चिपक गई, वह खरगोश जैसा लगने लगा। एक दिन तो खूब प्रशंसा हुई। दूसरे दिन वर्षा हुई और रुई छूट गई। असलियत खुल जाने पर सभी उसे मूर्ख बताने लगे। सत्य अधिक दिन तक छिपा नहीं रह सकता, वास्तविकता प्रकट होकर ही रहती है।

उन दिनों समूचे क्षेत्र में अनैतिकता और दुष्प्रवृत्तियों की भरमार थी। जिधर नजर उठाकर देखा जाए, अनाचारों का बोलबाला दीखता था। बालक वाल्टेयर जब कामचलाऊ पढ़ाई पढ़ चुके, तो उनके पिता वकालत पढ़ाना चाहते थे, पर उन्होंने निश्चय किया कि उस झूठ बोलने के धंधे में न पड़कर व्याप्त अनाचारों से लोहा लेंगे और बंदूक से असंख्य गुनी शक्तिशाली लेखनी के योद्धा बनेंगे। उन्होंने अपना निश्चय कार्यान्वित किया। परिवार का कहना न माना।

वाल्टेयर ने 100 अति महत्वपूर्ण लेख और 300 के करीब शोध−निबंध विभिन्न विषयों पर लिखे। जनता में विद्रोह की भावना उमड़ पड़ी और उनके साहित्य का भरपूर स्वागत हुआ, किंतु शासन को अपने निहित स्वार्थों के कारण वे सहन न हुए। जेल, देश-निकाला, आक्रमण, बरबादी आदि से उन्हें हताश करने का प्रयत्न किया गया, पर वे झुके नहीं। उन्हें नास्तिक घोषित किया गया। जब वे मरे तो कोई पादरी संस्कार कराने न आया। एक वीरान जगह में उन्हें गाढ़ दिया गया। शासन ने जिस साहित्य को ढूँढ़−ढूँढ़कर जला दिया था, वह गुपचुप छपता रहा और लोगों द्वारा मनोयोगपूर्वक पढ़ा जाता रहा और छिपी चिनगारी ने दावानल बनकर शासन में क्राँति कर दी।

कब्र खोदकर उनकी अस्थियों का जलूस निकाला गया, जिसमें 3 लाख जनता उपस्थित थी। अस्थियों पर शानदार स्मारक बनाया गया।








चूहे वाली कहानी प्रेरणादायक है बहत खूब एकदम सही बात भाई सच्चाई अधिक दिनों तक छुप नहीं सकती .. और बड़े बड़े लेखकों का बहुत बड़ा हाथ रहा है समाज में बदलाव लाने के लिए .
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