Re: मकर संक्रांति और पोंगल ..
उड़ीसा
उड़ीसा के नागफेनी गाँव में प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के दिन चौदह जनवरी को रथयात्रा का आयोजन पिछली शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों से किया जा रहा है। नागफेनी के ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा सहित भगवान मकर ध्वज की मूर्ति है। मकर संक्रांति के दिन भगवान मकरध्वज के विशेष पूजा होती है और रथ यात्रा निकाली जाती है। नागफेनी में होने वाले मेला में भाग लेने वाले श्रद्धालु कोयल नदी में स्नान कर मंगल कामना करते हैं, गरीबों के बीच दान करते हैं और इसके बाद दही चूड़ा, गुड़, तिलकुट आदि का सेवन करते हैं।
भगवान मकरध्वज के नाम पर, मकर संक्रांति को दोस्ती के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। महिलाएँ एक दूसरे को उपहार देकर दोस्ती की नई शुरूआत करती हैं। जिन लोगों को दोस्त बनाया जाता है उनका व्यक्तिगत नाम नहीं लिया जाता है। दोस्त का एक नाम 'मकर' रखा जाता है। इसी नाम से एक दूसरे को पुकारा जाता है। माना जाता है कि इस दिन की गयी दोस्ती गहरी होती है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पूर्व औषधि स्नान की भी परंपरा उड़ीसा में है। लोग प्रातः उठकर एक बर्तन में सरसों तेल, तिल और हल्दी मिलाकर शरीर पर लगाते हैं। इसके बाद नदी अथवा पवित्र सरोवर में डुबकी लगाते हैं। खिचड़ी और तिल-गुड के साथ ही इस दिन यहाँ कच्चे चावल की खिचड़ी बनाकर इष्ट देवता एवं सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। इसके बाद लोग खिचड़ी खाते हैं।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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