Re: ग़ज़ल- उसे अपने दिल की सुनाता नहीं मैं
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Originally Posted by आकाश महेशपुरी
ग़ज़ल- उसे अपने दिल की सुनाता नहीं मैं
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उसे अपने दिल की सुनाता नहीं मैं
कि पत्थर पे आँसू बहाता नहीं मैं
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बहुत खूब आकाश जी. आपकी ग़ज़लों में बहुत मिठास होती है और मनोभाव की सुंदर अभिव्यक्ति मिलती है. बहुत बहुत धन्यवाद.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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